चैतसी की कहानी

जानें कि कैसे एक भारतीय स्टार्टअप, बिना कचरे के तैयार किए गए प्रॉडक्ट के प्लैटफ़ॉर्म की मदद से, लोगों की ज़िंदगी को ईको-फ़्रेंडली बना रहा है
ब्राउन लिविंग, भारत का पहला ऐसा मार्केटप्लेस है जिसमें प्लास्टिक नहीं होता. यह भारत के छोटे से लेकर मध्यम आकार के कारोबारों और कारीगरों के ग्रुप को आगे बढ़ने का मौका देता है. इसका मकसद पर्यावरण को बेहतर बनाना आसान, सुलभ, और किफ़ायती बनाना है. कंपनी ने स्प्रेडशीट के ज़रिए 15 ब्रैंड के साथ शुरुआत की. उसके बाद, प्लैटफ़ॉर्म पर ध्यान से चुने गए 450 से ज़्यादा ब्रैंड हो चुके हैं. अब ब्राउन लिविंग, पर्यावरण के लिहाज़ से बेहतर और प्लास्टिक के बिना इस्तेमाल किए जाने वाले 65,000 से ज़्यादा प्रॉडक्ट पेश करता है. ये प्रॉडक्ट ईको-फ़्रेंडली, वीगन, ईको-फ़्रेंडली, ज़हरीले, और ज़ीरो-कचरा पैदा करने वाली लाइफ़स्टाइल के लिए चुने जाते हैं. फ़ाउंडर चैतसी आहूजा ने भारत के सबसे बड़े खुदरा दुकानदारों में अपने समय के दौरान, पर्यावरण को ध्यान में रखकर काम करने के अपने जुनून को समझा. अपनी इस भूमिका की वजह से, उन्हें भारतीय उपभोक्ता को समझने में मदद मिली. एक सेहतमंद और ज़्यादा जागरूक जीवनशैली अपनाने में निजी दिलचस्पी के साथ, उन्होंने ईको-फ़्रेंडली जीवन, जलवायु संकट, और संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण को ध्यान में रखकर किए जा रहे लक्ष्यों के बारे में काफ़ी पढ़ना शुरू किया. चैतसी सार्वजनिक इवेंट में हिस्सा लेती थीं, जहां वे हफ़्ते के आखिर में समुद्र तट की सफ़ाई में मदद करती थीं या किसान बाज़ार जाती थीं. वे समझ जाती थीं कि किस तरह छोटे ब्रैंड बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. चैतसी कहती हैं, “कम्यूनिटी इवेंट के ज़रिए, मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में सोचती हूं, तो मैं कचरा पैदा करने वाले ब्रैंड को प्रमोट नहीं कर सकती.” इस बारे में ज़्यादा पढ़ें.
-- चैतसी आहूजा
फ़ाउंडर और सीईओ, ब्राउन लिविंग

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